"इतिहास का विश्लेषण, उसकी सामाजिक व्याख्या मनुष्य कि घृणा को तर्क से शमित करती है, पर अतीत तर्क कि पद्धति को स्वीकार नहीं करता, वह केवल आंशिक सत्यो को स्मृति की कहानियो में बदल देता है और उसे सदियों जीवित रखता है ."
"इतिहास का विश्लेषण, उसकी सामाजिक व्याख्या मनुष्य कि घृणा को तर्क से शमित करती है, पर अतीत तर्क कि पद्धति को स्वीकार नहीं करता, वह केवल आंशिक सत्यो को स्मृति की कहानियो में बदल देता है और उसे सदियों जीवित रखता है ."